What is Mutual Funds || How to Invest in Mutual Fund -2023

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Mutual Fund क्या है और उसके प्रकार
क्या आपने कभी (Mutual Funds) के बारे में सुना है? अगर आप नहीं जानते की Mutual Funds का Use कैसे किया जाता हैं तो आज में आपको इसके बारे में बताऊंगा। बहुत सारे लोग केवल इसके बारे में सुनते ही अपने मन में म्यूच्यूअल फंड्स(Mutual Funds) को लेकर गलत धरना बना लेते हैं जो की ऐसा करना सही नहीं है. इसलिए आज मैंने सोचा क्यूँ न आप लोगों के मन में जो Mutual Funds को लेकर जो गलत फैमी बैठी है उसे आज दूर करते हैं और इसकी सच्चाई से आपको वाकिब करते हैं.
Mutual Funds से पैसा कमाना एक बेहद आसान और सरल तरीका है. इसमें Invest करने के लिए जरुरी नहीं आपके पास हज़ारों रुपये हो. बल्कि आप मात्र 500 रुपये हर महीने की दर से भी इसमें निवेश कर सकते है. बहुत से लोग Mutual Funds और stock/share market को एक ही मानते है पर ऐसा बिलकुल भी नहीं है. Mutual Funds और share market दोनों ही बाजार का एक हिस्सा है पर दोनों में बहुत अंतर है. आज की इस पोस्ट से हम जानेंगे की इनमे क्या अंतर है और आखिरकर ये Mutual Funds क्या होता है और कैसे इसमें हम safely निवेश कैसे कर सकते हैं?
यह एक fund(संग्रह) होता है जिसमे बहुत सारे निवेशकों(इन्वेस्टर्स) का पैसा एक साथ पारस्परिक रूप से रखा जाता है धन के इस समूह को सबसे अधिक संभव मुनाफा अर्जित करने के लिए manage किया जाता है. आसान भाषा में कहें तो Mutual Funds में बहुत सारे लोगों के पैसे इन्वेस्ट होते है और यह फण्ड उन्ही लोगो के investment से बना होता है.
इन Funds के द्वारा पैसो इकठ्ठा कर अलग अलग जगहों पर निवेश(इन्वेस्ट) किया जाता है और यह कोशिश की जाती है की निवेशक को ज्यादा से ज्यादा मुनाफा Profit दिया जा सके. Fund को प्रबंधित करने का काम एक पेशेवर व्यक्ति द्वारा किया जाता है जिसको पेशेवर फंड मैनेजर (Professional Fund Manager) कहा जाता है.
 
Proffesional fund manager का काम म्यूच्यूअल फण्ड की देख रेख करना व फण्ड के पैसे को सही जगह पर लगा कर अधिक मुनाफा कराना होता है. आसान भाषा में कहें तो इसका काम लोगो के लगाये गए पैसो को मुनाफे(profit) में बदलना है। 
Mutual Funds SEBI (सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया) के अंतर्गत पंजीकृत हैं जो कि भारत में बाजार को नियंत्रित करता है. निवेशकों के पैसो को बाजार में सुरक्षित रखने का काम SEBI की देख रेख में किया जाता है. SEBI द्वारा सुनिश्चित किया जाता है की कहीं कोई कंपनी लोगों के साथ धोखा तो नहीं कर रही.
 
Mutual Funds भारत में बहुत लंबे समय से मौजूद है पर आज भी लोगों को इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है. कुछ समय पहले लोगों की धारणा थी की Mutual Funds केवल अमीर लोगो के लिए है पर ऐसा नहीं है आज के समय में ये धारणा बदल गयी है. आज के समय में Mutual Funds केवल अमीरों के लिए नहीं बल्कि कोई भी व्यक्ति मात्र 500 ₹ हर महीने की दर से Mutual Funds में निवेश कर सकता है. Mutual Funds में निवेश की न्यूनतम राशि 500 रुपये है।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और भारत सरकार की पहल पर भारत पर यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया (UTI) के गठन के साथ भारत में म्यूचुअल फंड उद्योग 1963 में शुरू हुआ था. इसका उद्देश्य छोटे-छोटे निवेशकों को शेयर बाजार की ओर आकर्षित करना हैं।
 
UTI का गठन संसद के एक अधिनियम के तहत 1963 में किया गया था. इसकी स्थापना भारतीय रिज़र्व बैंकRBI के द्वारा की गयी और शुरूआती समय में इसने RBI के अंतर्गत काम किया. 1978 में UTI को RBI से अलग कर दिया गया. भारतीय औद्योगिक विकास बैंक (आईडीबीआई) को आरबीआई के स्थान पर विनियामक (Regulatory) और प्रशासनिक नियंत्रण (Administrative control) का अधिकार मिला. और UTI ने इसके अंतर्गत काम करना शुरू किया .
 
भारत में Mutual Fund के विकास को बहुत सारे चरणों में बांटा गया हैं. जैसे की पहला चरण 1964 से 1987 तक का था जिसमे UTI के पास 6700Cr ₹ का fund आ चूका था.
 
इसके बाद 1987 से दूसरा चरण शुरू होता है इसमें public sector फण्ड की entry शुरू हुयी. SBI ने पहला NONUTI mutual fund बनाया. दूसरा चरण 1993 में खत्म हुआ पर दूसरा चरण के खत्म होते होते AUM यानी की Assets under management ₹6700Cr से कहीं ज्यादा बढ़कर ₹47004CR हो गया. इस चरण में निवेशकों के बीच mutual fund में काफी उत्साह देखने को मिला है। 
 
तीसरा चरण 1993 से शुरू हुआ जो की 2003 तक चला. इस चरण में private sector funds को मंजूरी मिली. इस चरण में निवेशकों को Mutual Funds के ज्यादा विकल्प(Option) मिले हैं. इस चरण का अंत 2003 में हुआ। 
 
चौथा चरण 2003 से शुरू हुआ जो अब तक चल रहा है. 2003 में UTI को दो अलग चरणों में बाँट दिया गया. पहला SUUTI और दूसरा UTI mutual fund जो की SEBI MF के नियमो के अनुसार काम करते थे. 2009 की आर्थिक मंदी का असर पूरी दुनिया पर पढ़ा. भारत में भी निवेशकों का काफी नुकसान हुआ.
इससे लोगों का भरोसा Mutual Funds से थोडा सा कम हुआ था पर अब धीरे धीरे ही सही यह भरोसा वापस पटरी पर आने लगा है. 2016 में AUM ₹15.63 trillion हो चूका था. जो की अब तक का सबसे ज्यादा था. निवेशकों की संख्या लगभग 5 CR के ऊपर हो चुकी है और हर महीने लाखों नए निवेशक जुड़ रहे है. यह चरण Mutual Funds के लिए एक Golden chance साबित हुआ।

Types of Mutual Funds in Hindi

म्यूच्यूअल फंड्स कई प्रकार के होते है. इनको हम 2 श्रेणियों में बांट सकते है. पहला संरचना के आधार पर Mutual Funds के प्रकार और दूसरा asset के आधार पर Mutual Funds के प्रकार.

A) संरचना के आधार पर Mutual Funds के प्रकार

1. Open ended Mutual fund

Open Ended Funds में निवेशकों को कभी भी/किसी भी समय पर Funds को बेचने(Buy) और खरीदने(Sell) की अनुमति प्रदान की जाती है. इसमें funds खरीदने की और बेचने की कोई भी निश्चित तिथि या (Limited Time)अवधी नहीं होती है. ये fund निवेशकों को तरलता प्रदान करते है इसलिए निवेशकों द्वारा काफी पसंद किये जाते है.
 

2. Close ended Mutual Funds

इस प्रकार की योजना में एक निर्धारित परिपक्वता अवधि होती है और निवेशक funds केवल fund अवधि के दौरान खरीद सकते हैं और इस तरह के Mutual Funds शेयर मार्किट में भी List किये जाते है. इसके बाद इनको trading के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है.
 

3. Interval Funds (अंतराल फंड्स)

Mutual Funds का यह प्रकार open ended funds और close ended funds दोनों के साथ मिलकर बना हुआ होता है. इसमें दोनों तरह के Funds की सुविधाएं दी जाती है. यह निवेशकों को पूर्व–निर्धारित अंतराल (Interval) पर funds का कारोबार करने की अनुमति प्रदान करता है. तथा उस निर्धारित अवधि पर funds की trading की जा सकती है.
 
ये तो बात हुयी संरचना के आधार पर Mutual Funds के प्रकार की, अब हम बात करेंगे की asset के आधार पर Mutual Funds कितने प्रकार ले होते है.

B) Assets के आधार पर Mutual Funds के प्रकार

1. Debt funds

इस तरह के Funds में निवेशक(Investor) को जोखिम बहुत कम होता है. निवेशक Deventures,सरकारी bound और अन्य निश्चित आय में निवेश करते हैं जो की सुरक्षित निवेश है तो यह फण्ड आपके लिए है,निवेशक की कमाई यदि फंड्स से 10,000 से अधिक है तो निवेशक को कर भरना पड़ेगा.
 

2. Liquid Mutual Funds

Liquid Funds भी निवेश करने के लिए एक सुरक्षित Mutual Funds है. ये फंड्स कम Time वाले उपकरणों(debt instruments) में निवेश(Invest) करते है. इसलिए अगर आप कम समय के लिए निवेश करना चाहते है तो liquid funds आपकी पसंद हो सकते है.
 

3. Equity funds

इक्विटी फंड्स = अगर आप दीर्घकालीन लाभ पाना चाहते है तो Equity funds आपके लिए है. ये फंड्स शेयर market में निवेश करते है. इस तरह के Funds में जोखिम(Risk) भी होता है पर इनसे होने वाला मुनाफा(Profit) दूसरों के मुक़ाबले बहुत अधिक होता है.

4. Money Market Funds

इस तरह के funds Short term में निवेशकों के लिए उचित रिटर्न प्रदान करते है. इसमें सुरक्षित जगहों पर निवेश किया जाता है.

5. Balanced Mutual Funds

इस तरह के फंड स्कीम में equity फण्ड और Debt फंड का मिलाजुला फायदा मिलता है. इस प्रकार के Mutual Funds में जमा हो चुके पैसे को इक्विटीEquity और डैब्ट(Dept) दोनों जगहों पर ही निवेश किया जाता है. इस प्रकार के Funds निवेशकों को स्थिरता देते हुए आय(Income) में वृद्धि को भी गति देते है। 
 
इन के अलावा भी बहुत से Funds होते है लेकिन सबसे ज्यादा इस्तेमाल में आने वाले funds होते है।

Mutual Funds के फायदे

वैसे तो Mutual Funds के कई फायेदे हैं लेकिन जो important फायेदे हैं उसके बारे में में आज में आप लोगों को पूरी जानकारी देने ही कोशिस करूँगा.
1. Professional Management

आपके द्वारा म्यूच्यूअल फंड्स में लगाया गया पैसा म्यूच्यूअल फंड्स विशेषज्ञों द्वारा उनके अनुभव और उनके हुनर के साथ manage किया जाता है. ये लोग अपना पैसा लगाने से पहले जिस fund में पैसा लगते है या लगाना चाहते है उन Funds की पूरी तरह से जांच(reseach) करके जानकारी लेते है अगर उसके बाद इनके द्वारा जुटाई गयी जानकारी के अनुसार Profit नहीं होता तो ये इन्वेस्ट नहीं करते हैं।

2. Diversification (विविधता)
Share Market में सुरक्षित निवेश safe Investment का मूल मंत्र है की अपने पैसे को एक शेयर/म्यूच्यूअल फण्ड पर न लगा कर बहुत सारी जगहों पर बाँट दो और कई सारी शेयर और म्यूच्यूअल फंड्स पर निवेश करो. हर mutual फण्ड पैसे को अलग अलग जगहों पर निवेश करता है. अच्छे फण्ड में न केवल दूसरी कंपनी बल्कि दुसरे सेक्टर या शायद अलग size की कंपनी में भी निवेश किया जा सकता है. जिससे निवेशकों को अधिकतम सुरक्षा मिलती है.
 
3. Variety (विकल्प)
ज्यादा रिटर्न्स की उम्मीद रखने वालो के लिए ज्यादा रिटर्न्स वाले और सुरक्षित निवेश की इच्छा रखने वालो के लिए सुरक्षित फंड्स से लेकर हर तरह के फंड्स बाजार में मौजूद है. आप किसी भी तरह की इच्छा रखते(Ex. Low Risk,High Profit) हो पर आपके लिए कोई न कोई mutual fund जरूर बना होगा और वो आपकी जरुरत को पूरा करेगा। 
 
4. Convenience (सुविधा)
आप Mutual Funds में निवेश(invest) बड़ी ही सरलता के साथ कर सकते है और उसी प्रकार आप फंड्स से पैसे निकाल भी सकते है. Mutual Funds खरीदने के लिए आपको किसी भी ब्रोकरेज कम्पनी में अकाउंट ओपन करना होगा जैसे(Upstox,Zerodha) और अगर आप अकाउंट ओपन नहीं करना चाहते हैं तो Paytm Money और PhonePe से भी म्यूच्यूअल फंड्स में इन्वेस्ट कर सकते हैं। 
 
5. Affordable (सस्ता)
बड़ी-बड़ी कंपनियों के Share का rate बहुत ज्यादा होता है. आप बहुत बार उन कंपनियों में पैसा इन्वेस्ट करने की सोचते हैं पर आपका बजट कम होने की वजह से आप ऐसा नहीं कर पाते हैं, लेकिन Mutual Funds में बहुत लोगों का पैसा एक साथ/एक जगह होता है तो वो आपके पैसो से बड़ी कंपनियों के शेयरों में निवेश करते है और वह से आपको Profit मिलता हैं. mutual फंड्स न केवल बड़े बल्कि छोटे निवेशकों को बड़ी कंपनियों में Mutual Funds के जरिये निवेश करने का रास्ता है.
 
6. Tax Benefits
शेयर बाजार शेयर खरीदने या बेचने के लिए आपको टैक्स देना पढता है लेकिन Mutual Funds में invest करने के लिए आपको किसी प्रकार का टैक्स नहीं देना पड़ेगा. कुछ फंड्स में आपको अपने Profit  पर कुछ time के लिए कोई टैक्स नहीं देंना पढता है. टैक्स न लगना भी इसकी लोकप्रियता का कारण है। 
 
Mutual Funds में invest करने से पहले Funds से जुडी सारी जानकारी एकत्रित कर ले क्योकि इससे होने वाले किसी भी नुक्सान के आप स्वयं ज़िम्मेदार होंगे। 
 
हमने अपनी इस पोस्ट के जरिये आपको म्यूच्यूअल फण्ड क्या है (Mutual Funds in Hindi) की जानकारी हिंदी में प्रदान करने की कोशिश की है।

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