55+ माँ पर समर्पित कविताए | Best Poem On Mother In Hindi

दोस्तों आज हम आपके लिए Poem on Mother In Hindi मे लेकर आए है यानि की माँ के लिए समर्पित कुछ कविताएं। कहते है की माँ की ममता से मूल्यवान कुछ नहीं होता है इस संसार मे, हमारा ख्याल रखने के लिए भगवान खुद नहीं आ सकते इसलिए उन्होंने माँ को भेजा, इसलिए माँ को ही भगवान का दूसरा रूप बताया गया है। 

जिनके सिर पर उनकी माँ का हाथ होता है, किस्मत उन लोगों का साथ कभी नहीं छोड़ती है, इसलिए जिनके साथ उनकी माँ होती है वो बहुत भाग्यशाली होते है। माँ की ममता को परिभाषित करना लगभग नामुमकिन है, इसलिए हमारे जीवन मे माँ का स्थान इश्वर के भी ऊपर रखा गया है। 

आज हम आपके लिए कुछ ऐसी माँ के ऊपर कविताए लाए है जोकि आपको बहुत पसंद आएंगी, माँ हमारे जीवन मे एक अमूल्य स्थान रखती है तो उनके लिए कुछ अमूल्य Poems On Mother In Hindi आप इन कवितायो को अपनी माँ के लिए जरूर सुनाए। 

Best Poem on Mother In Hindi

माँ का प्रेम निस्वार्थ प्रेम होता होता है और इस संसार मे जितना प्यार माँ अपने बच्चे से करती है शायद ही कोई और करता हो। यहा पर ये जो कविताए दी गई है, ये सब बहुत ही लोकप्रिय कविताए है, आप इन्हे खास तोर पर Mother Day अपने स्कूल मे अपनी क्लास मे और अपनी प्यारी माँ को भी सुना सकते है। poem on mother day in hindi

हम एक शब्द हैं तो वह पूरी भाषा है
हम कुंठित हैं तो वह एक अभिलाषा है
बस यही माँ की परिभाषा है.

हम समुंदर का है तेज तो वह झरनों का निर्मल स्वर है
हम एक शूल है तो वह सहस्त्र ढाल प्रखर

हम दुनिया के हैं अंग, वह उसकी अनुक्रमणिका है
हम पत्थर की हैं संग वह कंचन की कृनीका है

हम बकवास हैं वह भाषण हैं हम सरकार हैं वह शासन हैं
हम लव कुश है वह सीता है, हम छंद हैं वह कविता है.

हम राजा हैं वह राज है, हम मस्तक हैं वह ताज है
वही सरस्वती का उद्गम है रणचंडी और नासा है.

हम एक शब्द हैं तो वह पूरी भाषा है.
बस यही माँ की परिभाषा है.
….Shailesh Lodha

Meri Maa Par Kavita in Hindi

मेरी ही यादों में खोई
अक्सर तुम पागल होती हो
माँ तुम गंगा-जल होती हो!

जीवन भर दुःख के पहाड़ पर
तुम पीती आँसू के सागर
फिर भी महकाती फूलों-सा
मन का सूना संवत्सर

जब-जब हम लय गति से भटकें
तब-तब तुम मादल होती हो।

व्रत, उत्सव, मेले की गणना
कभी न तुम भूला करती हो
सम्बन्धों की डोर पकड कर
आजीवन झूला करती हो

तुम कार्तिक की धुली चाँदनी से
ज्यादा निर्मल होती हो।

पल-पल जगती-सी आँखों में
मेरी ख़ातिर स्वप्न सजाती
अपनी उमर हमें देने को
मंदिर में घंटियाँ बजाती

जब-जब ये आँखें धुंधलाती
तब-तब तुम काजल होती हो।

हम तो नहीं भगीरथ जैसे
कैसे सिर से कर्ज उतारें
तुम तो ख़ुद ही गंगाजल हो
तुमको हम किस जल से तारें

तुझ पर फूल चढ़ाएँ कैसे
तुम तो स्वयं कमल होती हो।……..-जयकृष्ण राय तुषार

Sad Peom for Mother in Hindi

हमारे हर मर्ज की दवा होती है माँ….
कभी डाँटती है हमें, तो कभी गले लगा लेती है माँ…..

हमारी आँखोँ के आंसू, अपनी आँखोँ मेँ समा लेती है माँ…..
अपने होठोँ की हँसी, हम पर लुटा देती है माँ……

हमारी खुशियोँ मेँ शामिल होकर, अपने गम भुला देती है माँ….
जब भी कभी ठोकर लगे, तो हमें तुरंत याद आती है माँ…..

दुनिया की तपिश में, हमें आँचल की शीतल छाया देती है माँ…..
खुद चाहे कितनी थकी हो, हमें देखकर अपनी थकान भूल जाती है माँ….

प्यार भरे हाथोँ से, हमेशा हमारी थकान मिटाती है माँ…..
बात जब भी हो लजीज खाने की, तो हमें याद आती है माँ……
रिश्तों को खूबसूरती से निभाना सिखाती है माँ…….

लब्जोँ मेँ जिसे बयाँ नहीँ किया जा सके ऐसी होती है माँ…….
भगवान भी जिसकी ममता के आगे झुक जाते हैँ….– कुसुम

रुला देने वाली मदर डे कविता

तेरी ममता की छाँव में,
जाने कब बड़ा हुआ..

काला टीका दूध मलाई
आज भी सब कुछ वैसा है,

मैं ही मैं हूँ हर जगह,
माँ प्यार ये तेरा कैसा है?

सीधा-साधा, भोला-भाला,
मैं ही सबसे अच्छा हूँ,

कितना भी हो जाऊ बड़ा,
“माँ!” मैं आज भी तेरा बच्चा हूँ..

 Love Poem on Mother

बड़ी ही जतन से पाला है माँ ने
हर एक मुश्किल को टाला है माँ ने.

उंगली पकड़कर चलना सिखाया,
जब भी गिरे तो संभाला है माँ ने,

चारों तरफ से हमको थे घेरे,
जालिम बड़े थे मन के अंधेरे.

बैठे हुए थे सब मुंह फेरे,
एक माँ ही थी दीपक मेरे जीवन में.

अंधकार में डूबे हुए थे हम,
किया ऐसे में उजाला है माँ ने,

मिलेगा ना दुनिया में माँ सा कोई,
मेरी आंखें बड़ी तो वो साथ रोई.

बिना उसकी लोरी के न आती थी निंदिया,
जादू सा कर डाला है माँ ने,

बड़ी ही जतन से पाला है माँ ने
हर एक मुश्किल को टाला है माँ ने.

Mother’s Day in Hindi Poem

पहली धड़कन भी मेरी धडकी थी तेरे भीतर ही,
जमी को तेरी छोड़ कर बता फिर मैं जाऊं कहां

आंखें खुली जब पहली दफा तेरा चेहरा ही दिखा,
जिंदगी का हर लम्हा जीना तुझसे ही सीखा

खामोशी मेरी जुबान को सुर भी तूने ही दिया,
स्वेत पड़ी मेरी अभिलाषाओं को रंगों से तुमने भर दिया

अपना निवाला छोड़कर मेरी खातिर तुमने भंडार भरे,
मैं भले नाकामयाब रही फिर भी मेरे होने का तुमने अहंकार भरा

वह रात छिपकर जब तू अकेले में रोया करती थी,
दर्द होता था मुझे भी, सिसकियां मैंने भी सुनी थी

ना समझ थी मैं इतनी खुद का भी मुझे इतना ध्यान नहीं था,
तू ही बस वो एक थी, जिसको मेरी भूख प्यार का पता था

पहले जब मैं बेतहाशा धूल मैं खेला करती थी,
तेरी चूड़ियों तेरे पायल की आवाज से डर लगता था

लगता था तू आएगी बहुत डाटेंगी और कान पकड़कर मुझे ले जाएगी,
माँ आज भी मुझे किसी दिन धूल धूल सा लगता है

चूड़ियों के बीच तेरी गुस्से भरी आवाज सुनने का मन करता है,
मन करता है तू आ जाए बहुत डांटे और कान पकड़कर मुझे ले जाए

जाना चाहती हूं उस बचपन में फिर से जहां तेरी गोद में सोया करती थी,
जब काम में हो कोई मेरे मन का तुम बात-बात पर रोया करती थी

जब तेरे बिना लोरियों कहानियों यह पलके सोया नहीं करती थी,
माथे पर बिना तेरे स्पर्श के ये आंखें जगा नहीं करती थी

अब और नहीं घिसने देना चाहती तेरे ही मुलायम हाथों को,
चाहती हूं पूरा करना तेरे सपनों में देखी हर बातों को

खुश होगी माँ एक दिन तू भी,
जब लोग मुझे तेरी बेटी कहेंगे

Beautiful small Poem on Mother in Hindi

  • बचपन में माँ कहती थी
    बिल्ली रास्ता काटे,
    तो बुरा होता है
    रुक जाना चाहिए…
  • मैंने भगवान को भी नहीं देखा जमीं पर
    मैंने अल्लाह को भी नहीं देखा
    लोग कहते है,
    नास्तिक हूँ मैं
    मैं किसी भगवान को नहीं मानता
  • दही खाने की आदत मेरी
    गयी नहीं आज तक…
    दही खाने की आदत मेरी
    गयी नहीं आज तक..
  • बचपन में माँ कहती थी
    कुछ होते हैं बुरी नज़र लगाने वाले,
    कुछ होते हैं खुशियों में सताने वाले…
    यकीन मानों, मैं पुराने ख्याल वाला नहीं हूँ…
    मैं शगुन-अपशगुन को भी नहीं मानता….
  • मैं आज भी रुक जाता हूँ
    कोई बात है जो डरा
    देती है मुझे…
  • आज भी मैं अँधेरा देखकर डर जाता हूँ,
    भूत-प्रेत के किस्से खोफा पैदा करते हैं मुझमें,
    जादू, टोने, टोटके पर मैं यकीन कर लेता हूँ।

हरिवंश राय बच्चन द्वारा लिखित माँ पर कविताएं

  • अज मेरा फिरसे मुस्कुराने का मन किया,
    माँ की उंगली पकड़कर घूमने जाने का मन किया,
  • लगाकर सीने से माँ ने मेरी मुझको दूध पिलाया है,
    रोने और चिल्लाने पर बड़े प्यार से चुप करवया है,
  • मेरी तकलीफ में मुझसे ज्यादा मेरी माँ ही रोइ है,
    खिला-पीला के मुझको माँ मेरी, कभी भूखे पेट भी सोइ है,
  • उंगलियां पकड़कर माँ ने मेरी मुझे चलना सिखाया है,
    खुद गीले में सोकर माँ ने मुझे सूखे बिस्तर पर सुलाया है,
  • माँ की गोद में सोने को फिर से जी चाहता है,
    हाथों से माँ के खाना खाने का जी चाहता है,

Poem on Maa in Hindi

वो है मेरी माँ

मेरे सर्वस्व की पहचान
अपने आँचल की दे छाँव
ममता की वो लोरी गाती
मेरे सपनों को सहलाती
गाती रहती, मुस्कराती जो
वो है मेरी माँ।

प्यार समेटे सीने में जो
सागर सारा अश्कों में जो
हर आहट पर मुड़ आती जो
वो है मेरी माँ।

दुख मेरे को समेट जाती
सुख की खुशबू बिखेर जाती
ममता की रस बरसाती जो
वो है मेरी माँ।…..-देवी नांगरानी

Poem on Mothers Day in Hindi

माँ और भगवान

मैं अपने छोटे मुख कैसे करूँ तेरा गुणगान
माँ तेरी समता में फीका-सा लगता भगवान

माता कौशल्या के घर में जन्म राम ने पाया
ठुमक-ठुमक आँगन में चलकर सबका हृदय जुड़ाया
पुत्र प्रेम में थे निमग्न कौशल्या माँ के प्राण
माँ तेरी समता में फीका-सा लगता भगवान

दे मातृत्व देवकी को यसुदा की गोद सुहाई
ले लकुटी वन-वन भटके गोचारण कियो कन्हाई
सारे ब्रजमंडल में गूँजी थी वंशी की तान
माँ तेरी समता में फीका-सा लगता भगवान

तेरी समता में तू ही है मिले न उपमा कोई
तू न कभी निज सुत से रूठी मृदुता अमित समोई
लाड़-प्यार से सदा सिखाया तूने सच्चा ज्ञान
माँ तेरी समता में फीका-सा लगता भगवान

कभी न विचलित हुई रही सेवा में भूखी प्यासी
समझ पुत्र को रुग्ण मनौती मानी रही उपासी
प्रेमामृत नित पिला पिलाकर किया सतत कल्याण
माँ तेरी समता में फीका-सा लगता भगवान

‘विकल’ न होने दिया पुत्र को कभी न हिम्मत हारी
सदय अदालत है सुत हित में सुख-दुख में महतारी
काँटों पर चलकर भी तूने दिया अभय का दान
माँ तेरी समता में फीका-सा लगता भगवान………..जगदीश प्रसाद सारस्वत ‘विकल’

Maa Poetry in Hindi

हजारो दुखड़े सहती है माँ
फिर भी कुछ ना कहती है माँ
हमारा बेटा फले और फुले

यही तो मंतर पढ़ती है माँ
हमारे कपड़े कलम और कॉपी
बड़े जतन से रखती है माँ

बना रहे घर बंटे न आँगन
इसी से सबकी सहती है माँ
रहे सलामत चिराग घर का

यही दुआ बस करती है माँ
बढ़े उदासी मन मे जब जब
बहुत याद मे रहती है माँ

नजर का कांटा कहते है सब
जिगर का टुकड़ा कहती है माँ
मेरे हृदय मे हरदम
ईश्वर जैसी रहती है माँ

हिन्दी कविता मैं माँ को मानता हूँ।

बचपन में माँ कहती थी, बिल्ली रास्ता काटे,
तो बुरा होता है रुक जाना चाहिए…

मैं आज भी रुक जाता हूँ
कोई बात है जो डरा देती है मुझे…

यकीन मानो,
मैं पुराने ख्याल वाला नहीं हूँ…
मैं शगुन-अपशगुन को भी नहीं मानता…

मैं माँ को मानता हूँ।
मैं माँ को मानता हूँ।

दही खाने की आदत मेरी गयी नहीं आज तक…
दही खाने की आदत मेरी गयी नहीं आज तक..

चाहे हम बड़े हो जाये मगर हम अपनी माँ के लिए तो बच्चे ही है…

माँ कहती थी।
घर से दही खाकर निकलो
तो शुभ होता है..
मैं आज भी हर सुबह दही खाकर निकलता हूँ…
मैं शगुन-अपशगुन को भी नही मानता….

मैं माँ को मानता हूँ।
मैं माँ को मानता हूँ।

आज भी मैं अँधेरा देखकर डर जाता हूँ,
भूत-प्रेत के किस्से खोफा पैदा करते हैं मुझमें,
जादू, टोने, टोटके पर मैं यकीन कर लेता हूँ।

बचपन में माँ कहती थी
कुछ होते हैं बुरी नज़र लगाने वाले,
कुछ होते हैं खुशियों में सताने वाले…
यकीन मानों, मैं पुराने ख्याल वाला नहीं हूँ…
मैं शगुन-अपशगुन को भी नहीं मानता….

मैं माँ को मानता हूँ।
मैं माँ को मानता हूँ।

मैंने भगवान को भी नहीं देखा जमीं पर
मैंने अल्लाह को भी नहीं देखा
लोग कहते है, नास्तिक हूँ मैं
मैं किसी भगवान को नहीं मानता

लेकिन माँ को मानता हूँ
में माँ को मानता हूँ।।

निष्कर्ष

हमने इस article में आपको बताया की आप किन किन तरीको से Poem On Mother In Hindi तो यदि आपने इस article को पसंद किया है तो आप यह आर्टिकल अपने दोस्तों के साथ भी शेयर कर सकते है जिससे उन्हें भी ऐसे article पढ़ने का मौका मिले।

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